पहले हमसे बौद्ध अलग हुये फिर जैन फिर सिख और आज परिस्थितियाँ ऐसी बनती जा रही हैँ कि दलित हिन्दुओँ से टूटते जा रहे है
वर्तमान मेँ हम हिन्दुऔँ और दलितोँ के ठेकेदारोँ की औछी राजनीति को दोष दे सकते हैँ या फिर कह सकते है कि हमारा धर्म उदारवादी है अन
ुयायियोँ को किसी बंधन मेँ नहीँ रखता
वक्त बदलाव चाहता है हमेँ अपने धर्म की कुरुतियोँ आडम्बरोँ को खत्म करना है
आज भी कई मन्दियोँ मेँ निम्न जाति के लोगोँ का प्रवेश वर्जित है
आज भी कई जगह उनसे मैला ढुलवाने का काम लिया जाता है बदले मेँ थोड़े से पैसे जिनसे उनके परिवार का खर्च तक नहीँ चलता
समाज के कई कार्योँ से उनको वंचित रखा जाता है गाँवोँ मेँ छुआछूत भी जारी है
और ऐसे ही लोगोँ को निशाने बनाते हैँ ईसाई मिशनरी जो थोड़े से पैसे देकर धर्मपरिवर्तन करवा लेते
जब एक ईसाई सनातन धर्म को अपनाता है तो हम फेसबुक पर महिने भर तक उसकी फोटो शेयर करते हैँ लेकिन जब निम्न जाति के लौगोँ की बस्तियाँ की बस्तियाँ हिन्दू धर्म त्यागती हैँ तो हम चुप रहते हैँ
हिन्दूत्व की पार्टी बीजेपी उच्च वर्ग के लोगोँ के लिये है उन्हेँ कौई मतलब नहीँ होता निम्न वर्ग के लोग क्योँ धर्मपरिवर्तन करते हैँ उन्हेँ शाईनिँग ईंडिया बनाना है भारत से कोई मतलब नही
एक बार मैँ एक दलित हिन्दु से हिन्दुओँ को एकजुट रहने की बात कर रहा था तो उसने मुझसे पूँछा
" क्या कभी कोइ हिन्दुत्ववादी नेता अम्बेडकर जयन्ती मनाता है ?"
मेरे पास जबाव होते हुये भी आगे बोलने की हिम्मत नहीँ बची
दलितोँ की ठेकेदार माया मैडम अगर पार्कोँ पर लगाया जाने वाला पैसा दलितोँ का आर्थिक सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन दूर करने पर लगाती तो वाकई दलितोँ का उत्थान होता और वे खुद प्रेरणा स्त्रोत बनते
हमारे देश मेँ दहेज के कारण ही हर जिले मेँ हर रोज कोई ना कोई आत्महत्या कर लेता है इसी कारण कन्या भ्रूण हत्या होती
फेसबुक पर Save girl child वाले पेज चलाने भी खुद को दहेज लेने से नहीँ रोक पाते
दहेज लेने वाले माँ बाप कभी ये नहीँ सोचते कि जब आप इतनी मंहगाई का रोज रोना रौते तो लड़की के माँ बात इतना सारा पैसा इकठ्ठा कैसे जुटायेँगे
सनातन धर्म तो जीवन शैली है इससे विमुख होने का कोई कारण ही नहीँ मिलेगा लोगोँ के पास अगर समाज मे कुछ बदलाव आ जाये तो
लोग कहते हैँ वर्ण व्यवस्था वेदोँ मेँ थी लेकिन वेदोँ की वर्ण व्यवस्था कर्म के आधार पर निर्धारित होती थी ना कि जन्म के आधार पर .......
उच्च वर्ण की एक लड़की ने दलित हिन्दु लड़के से शादी कर ली तो तमिलनाड़ु के धर्मपुरी जिले के दलितोँ के तीन गाँव आग के हवाले कर दिये गये
"द हिन्दू" के अनुसार सवर्ण जाति के करीब 2500 लोगोँ ने मिलकर दलितोँ के लगभग 250 घरोँ को जला दिया और लड़की के पिता को आत्महत्या के लिये उकसाया जिसके बाद लड़की के बाप ने आत्महत्या कर ली
हमने कई केस देखेँ है जिनमेँ हिन्दु लड़की मुस्लिम लड़के से शादी कर लेती है और वर्तमान मेँ तो लव जिहाद भी चलाया जा रहा जिसमेँ बाद मेँ एक दो बच्चे पैदा करके लड़कियोँ को छोड़ दिया जाता है इसके लिये मस्जिदोँ से पैसा भी मिलता है
लेकिन इतना उग्र हिन्दुत्व कभी नहीँ दिखा
मुस्लिमोँ को अपनी बेटी सौँप सकते हो लेकिन दलितोँ को नहीँ क्योँ
लोग सेकुलरिज्म का पाठ पढाते समय एक रटा रटाया डायलोग बोलते
हिन्दु मुस्लिम का खून लाल ही होता
फिर दलित का खून पीला कैसे हो जाता
आप गौमाँस खाने वाले मुस्लिमोँ के साथ एक प्लेट मेँ खा सकते हो लेकिन दलित हिन्दुओँ के साथ नहीँ
आप मुस्लिमोँ से तीन बार गले मिल सकते हो लेकिन दलित हिन्दुओँ से नहीँ
आप मुस्लिमोँ को मंदिर पर चढ़ा सकते हो लेकिन दलितोँ को नहीँ
आप मुस्लिमोँ को भाई बोल सकते हो लेकिन दलितोँ को नहीँ
सदियोँ से तुम्हारी सेवा की दलितोँ ने मैला ढोया और आज भी करते हैँ
और मुस्लिमोँ ने क्या दिया ईतिहास देख लो महिलाओँ की इज्जत लूटी जनेऊ तुड़वाये मंदिर तोड़े
जब भी हिन्दूओं के खिलाफ कोई दंगा होता है और तो अधिकतर स्थानों पर तलवारें हमारे दलित भाई ही सँभालते है
1989 मेँ कोटा (राजस्थान) दंगे,
जहाँ अनंत चतुर्दशी की झांकी के दौरान मुस्लिमों ने भगवान राम, लक्ष्मण और सीता माता बनने वालों को काट दिया गया था। और फिर जब दलितों ने
तलवारे उठाई तो सारे मुल्ले भाग लिए थे
ऐसे कई उदाहरण हमारे आस पास मौजूद होँगे
तुम्हेँ चुनना है कौन तुम्हारा भाई है ?
वक्त बदलाव चाहता है हमेँ अपने धर्म की कुरुतियोँ आडम्बरोँ को खत्म करना है
आज भी कई मन्दियोँ मेँ निम्न जाति के लोगोँ का प्रवेश वर्जित है
आज भी कई जगह उनसे मैला ढुलवाने का काम लिया जाता है बदले मेँ थोड़े से पैसे जिनसे उनके परिवार का खर्च तक नहीँ चलता
समाज के कई कार्योँ से उनको वंचित रखा जाता है गाँवोँ मेँ छुआछूत भी जारी है
और ऐसे ही लोगोँ को निशाने बनाते हैँ ईसाई मिशनरी जो थोड़े से पैसे देकर धर्मपरिवर्तन करवा लेते
जब एक ईसाई सनातन धर्म को अपनाता है तो हम फेसबुक पर महिने भर तक उसकी फोटो शेयर करते हैँ लेकिन जब निम्न जाति के लौगोँ की बस्तियाँ की बस्तियाँ हिन्दू धर्म त्यागती हैँ तो हम चुप रहते हैँ
हिन्दूत्व की पार्टी बीजेपी उच्च वर्ग के लोगोँ के लिये है उन्हेँ कौई मतलब नहीँ होता निम्न वर्ग के लोग क्योँ धर्मपरिवर्तन करते हैँ उन्हेँ शाईनिँग ईंडिया बनाना है भारत से कोई मतलब नही
एक बार मैँ एक दलित हिन्दु से हिन्दुओँ को एकजुट रहने की बात कर रहा था तो उसने मुझसे पूँछा
" क्या कभी कोइ हिन्दुत्ववादी नेता अम्बेडकर जयन्ती मनाता है ?"
मेरे पास जबाव होते हुये भी आगे बोलने की हिम्मत नहीँ बची
दलितोँ की ठेकेदार माया मैडम अगर पार्कोँ पर लगाया जाने वाला पैसा दलितोँ का आर्थिक सामाजिक और शैक्षिक पिछड़ापन दूर करने पर लगाती तो वाकई दलितोँ का उत्थान होता और वे खुद प्रेरणा स्त्रोत बनते
हमारे देश मेँ दहेज के कारण ही हर जिले मेँ हर रोज कोई ना कोई आत्महत्या कर लेता है इसी कारण कन्या भ्रूण हत्या होती
फेसबुक पर Save girl child वाले पेज चलाने भी खुद को दहेज लेने से नहीँ रोक पाते
दहेज लेने वाले माँ बाप कभी ये नहीँ सोचते कि जब आप इतनी मंहगाई का रोज रोना रौते तो लड़की के माँ बात इतना सारा पैसा इकठ्ठा कैसे जुटायेँगे
सनातन धर्म तो जीवन शैली है इससे विमुख होने का कोई कारण ही नहीँ मिलेगा लोगोँ के पास अगर समाज मे कुछ बदलाव आ जाये तो
लोग कहते हैँ वर्ण व्यवस्था वेदोँ मेँ थी लेकिन वेदोँ की वर्ण व्यवस्था कर्म के आधार पर निर्धारित होती थी ना कि जन्म के आधार पर .......
उच्च वर्ण की एक लड़की ने दलित हिन्दु लड़के से शादी कर ली तो तमिलनाड़ु के धर्मपुरी जिले के दलितोँ के तीन गाँव आग के हवाले कर दिये गये
"द हिन्दू" के अनुसार सवर्ण जाति के करीब 2500 लोगोँ ने मिलकर दलितोँ के लगभग 250 घरोँ को जला दिया और लड़की के पिता को आत्महत्या के लिये उकसाया जिसके बाद लड़की के बाप ने आत्महत्या कर ली
हमने कई केस देखेँ है जिनमेँ हिन्दु लड़की मुस्लिम लड़के से शादी कर लेती है और वर्तमान मेँ तो लव जिहाद भी चलाया जा रहा जिसमेँ बाद मेँ एक दो बच्चे पैदा करके लड़कियोँ को छोड़ दिया जाता है इसके लिये मस्जिदोँ से पैसा भी मिलता है
लेकिन इतना उग्र हिन्दुत्व कभी नहीँ दिखा
मुस्लिमोँ को अपनी बेटी सौँप सकते हो लेकिन दलितोँ को नहीँ क्योँ
लोग सेकुलरिज्म का पाठ पढाते समय एक रटा रटाया डायलोग बोलते
हिन्दु मुस्लिम का खून लाल ही होता
फिर दलित का खून पीला कैसे हो जाता
आप गौमाँस खाने वाले मुस्लिमोँ के साथ एक प्लेट मेँ खा सकते हो लेकिन दलित हिन्दुओँ के साथ नहीँ
आप मुस्लिमोँ से तीन बार गले मिल सकते हो लेकिन दलित हिन्दुओँ से नहीँ
आप मुस्लिमोँ को मंदिर पर चढ़ा सकते हो लेकिन दलितोँ को नहीँ
आप मुस्लिमोँ को भाई बोल सकते हो लेकिन दलितोँ को नहीँ
सदियोँ से तुम्हारी सेवा की दलितोँ ने मैला ढोया और आज भी करते हैँ
और मुस्लिमोँ ने क्या दिया ईतिहास देख लो महिलाओँ की इज्जत लूटी जनेऊ तुड़वाये मंदिर तोड़े
जब भी हिन्दूओं के खिलाफ कोई दंगा होता है और तो अधिकतर स्थानों पर तलवारें हमारे दलित भाई ही सँभालते है
1989 मेँ कोटा (राजस्थान) दंगे,
जहाँ अनंत चतुर्दशी की झांकी के दौरान मुस्लिमों ने भगवान राम, लक्ष्मण और सीता माता बनने वालों को काट दिया गया था। और फिर जब दलितों ने
तलवारे उठाई तो सारे मुल्ले भाग लिए थे
ऐसे कई उदाहरण हमारे आस पास मौजूद होँगे
तुम्हेँ चुनना है कौन तुम्हारा भाई है ?
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